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12 Mar 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 1
इतिहास
दिवस- 3: भारत में सामाजिक सशक्तीकरण की सफलता गरीबी उन्मूलन पर निर्भर करती है। इस संदर्भ में, गरीबी से निपटने के प्रभावी उपायों पर चर्चा कीजिये। (200 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- गरीबी की परिभाषा बताकर शुरुआत कीजिये।
- गरीबी के कारणों की पहचान कीजिये।
- सामाजिक सशक्तीकरण गरीबी उन्मूलन से किस प्रकार जुड़ा हुआ है, बताइये।
- गरीबी से निपटने के लिये सरकार के कदमों पर प्रकाश डालिये।
- सुझाव देकर निष्कर्ष लिखिये।
परिचय:
गरीबी केवल भोजन और आश्रय जैसी बुनियादी ज़रूरतों की कमी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भूख एवं कुपोषण, शिक्षा तथा स्वास्थ्य सेवाओं की अपर्याप्त उपलब्धता, सामाजिक भेदभाव और बहिष्कार, तथा निर्णय प्रक्रिया में सीमित भागीदारी जैसे विभिन्न रूपों में प्रकट होती है।
नीति आयोग द्वारा जारी राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक के अनुसार, भारत की 11.03 प्रतिशत आबादी बहुआयामी रूप से गरीब है, जबकि उत्तर प्रदेश में 22.93 प्रतिशत आबादी बहुआयामी रूप से गरीब है। इसका मतलब है कि उनके पास बुनियादी स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर तक पहुँच नहीं है।
मुख्य भाग:
भारत में गरीबी के कारण:
- जनसंख्या विस्फोट: भारत अब विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है, जिससे उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव बढ़ रहा है।
- कम कृषि उत्पादकता: गरीबी का एक प्रमुख कारण कृषि क्षेत्र में कम उत्पादकता है। इसका कारण है खंडित और उपविभाजित भूमि जोत, पूंजी की कमी, खेती में नई तकनीकों के बारे में जानकारी का अभाव एवं खेती के पारंपरिक तरीकों का उपयोग।
- आर्थिक विकास की निम्न दर: स्वतंत्रता के बाद के प्रारंभिक 40 वर्षों में, भारत की आर्थिक वृद्धि अपेक्षाकृत धीमी रही, विशेष रूप से वर्ष 1991 में LPG (उदारीकरण, निजीकरण, वैश्वीकरण) सुधारों से पहले।
- बेरोज़गारी: भारत में गरीबी का एक प्रमुख कारण बढ़ती जनसंख्या है। रोज़गार चाहने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन उपलब्ध नौकरियों की वृद्धि इस बढ़ती मांग के अनुरूप नहीं हो पाई है।
- सामाजिक कारक: आर्थिक कारकों के अलावा, भारत में गरीबी उन्मूलन में बाधा डालने वाले सामाजिक कारक भी हैं। इस संबंध में कुछ बाधाएँ विरासत के नियम, जाति व्यवस्था, कुछ परंपराएँ आदि हैं।
- जलवायु जनित गरीबी: भारत के अधिकांश गरीब बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड आदि राज्यों से हैं। लगातार बाढ़, आपदाएँ और चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाएँ इन राज्यों में कृषि को भारी नुकसान पहुँचाती हैं।
- कौशल का अभाव: अधिकांश गरीब लोग शहरी अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में उभरते रोज़गार के अवसरों में भाग लेने में सक्षम नहीं हैं, क्योंकि उनके पास ऐसा करने के लिये आवश्यक ज्ञान और कौशल नहीं है।
गरीबी उन्मूलन के लिये वंचित वर्ग का सामाजिक सशक्तीकरण आवश्यक है। सामाजिक सशक्तीकरण इसलिये महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि:
- यह सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन का एक एजेंट है।
- यह सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का निष्क्रिय प्राप्तकर्त्ता होने के बजाय सक्रिय भागीदार बनने का अवसर प्रदान करता है।
- यह निर्णय लेने में भागीदारी को बढ़ावा देता है।
- यह जीवन में निर्णय लेने की स्वायत्तता देता है।
- यह अवसर की समानता प्रदान करता है।
गरीबों को सामाजिक रूप से सशक्त बनाने के लिये निम्नलिखित गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम शुरू किये गए हैं:
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) 2005: यह प्रत्येक ग्रामीण परिवार को प्रतिवर्ष 100 दिन का सुनिश्चित रोज़गार प्रदान करता है।
- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना: इसे वर्ष 2015 में देश में कौशल विकास को प्रोत्साहित करने और बढ़ावा देने के लिये शुरू किया गया था, ताकि मुफ्त अल्पकालिक कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जा सके तथा कौशल प्रमाणन के लिये युवाओं को मौद्रिक पुरस्कार प्रदान करके इसे प्रोत्साहित किया जा सके।
- प्रधानमंत्री जन धन योजना: इसका उद्देश्य सब्सिडी, पेंशन और बीमा का प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण करना है। यह योजना खास तौर पर बैंकिंग सेवाओं से वंचित गरीबों को लक्षित करती है और इस प्रकार वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देती है।
- प्रधानमंत्री आवास योजना: इसका उद्देश्य सभी गरीबों को आवास उपलब्ध कराना है।
- प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना: यह एक प्रमुख योजना है जिसका उद्देश्य ग्रामीण एवं वंचित परिवारों को LPG जैसे स्वच्छ खाना पकाने वाले ईंधन उपलब्ध कराना है।
- PM किसान सम्मान निधि: इसका उद्देश्य सभी किसानों को ₹6000 तक की आय सहायता प्रदान करना है।
- एक राष्ट्र एक राशन कार्ड: यह प्रणाली सभी राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) लाभार्थियों, विशेष रूप से प्रवासी लाभार्थियों को, बायोमेट्रिक/आधार प्रमाणीकरण के साथ मौजूदा राशन कार्ड के माध्यम से देश के किसी भी उचित मूल्य की दुकान (FPS) से पूर्ण या आंशिक खाद्यान्न का दावा करने की अनुमति देती है।
- प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण या पीएम-पोषण: इस योजना का उद्देश्य सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में बच्चों की पोषण स्थिति में सुधार करना है।
- प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना: इस योजना का उद्देश्य गरीबों को कोविड-19 से बचाव और उससे मुकाबला करने में सहायता प्रदान करना है।
- आयुष्मान भारत योजना: यह माध्यमिक और तृतीयक देखभाल अस्पताल में भर्ती के लिये प्रतिवर्ष प्रति परिवार 5 लाख रुपए तक का स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करती है।
निष्कर्ष:
अनुच्छेद 47 के तहत पोषण और जीवन स्तर को ऊपर उठाना तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार करना राज्य का कर्त्तव्य है। सरकार को सब्सिडी को कम करने और लक्षित नकद हस्तांतरण को बढ़ाने के लिये तुरंत कार्रवाई करनी चाहिये, जो गरीब एवं कमज़ोर समूहों का समर्थन करने के लिये एक प्रभावी तंत्र है। सामाजिक कल्याण के लिये एक सुव्यवस्थित दृष्टिकोण एक अधिक समावेशी और अनुकूल समाज बनाने में मदद कर सकता है।